हटेंगी रेल विद्युतीकरण का रास्ता रोक रहीं बिजली की लाइनें

रेलवे विद्युतीकरण के रास्ते में बाधा बनी सिविल की लाइनों को हटाने के लिये रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) के अधिकारियों का एक प्र्रतिनिधिमंडल मंगलवार को एक्सईएन प्रथम एके श्रीवास्तव से मिला। विद्युतीकरण की रुकावट बनीं लाइनों को हटाने के लिए एक पत्र सौंपा। दरअसल रेल मंत्रालय और पीएमओ ऑफिस का सारा फोकस वाराणसी पर है। प्रधानमंत्री का क्षेत्र होने के नाते रेल इस स्टेशन को सारी सुविधाओं से जोड़ने की तैयारी में लगा हुई है। सूबे की राजधानी लखनऊ के रास्ते से वाराणसी पहुंचने के सभी रेलमार्गों के अलावा स्टेशनों की सुविधाओं को दुरुस्त करने में रेल मंत्रालय युद्धस्तर पर लगा है। उतरेटिया से जंघई के बीच विद्युतीकरण और दोहरीकरण की योजनाओं को इसी कड़ी से जोड़कर देखा जा रहा है। सूत्रों की मानें तो पहले विद्युतीकरण का कार्य किया जाना है।
इस रूट का सर्वे किया जा चुका है। सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार प्रतापगढ़ जिले में अंतू से लेकर पृथ्वीगंज रेलवे स्टेशन के बीच सात स्थानों पर रेलवे लाइन के ऊपर से गुजरी लाइन विद्युतीकरण के काम में रुकावट बन रही है। बिना इस लाइन को हटाये विद्युतीकरण का काम आगे नहीं बढ़ सकता है। आरवीएनएल के सहायक प्रबंधक योगेश मिश्रा ने बताया कि अंतू, जगेशरगंज, चिलबिला, प्रतापगढ़ और पृथ्वीगंज रेलवे स्टेशनों के इर्द-गिर्द सात स्थानों पर रेलवे ट्रैक के ऊपर से विद्युत का तार गया हुआ है। इसको हटाए बिना विद्युतीकरण का काम नहीं हो पाएगा। उन्होंने इस आशय का पत्र एक्सईएन प्रथम एके श्रीवास्तव को दिया है। एक्सईएन ने बताया कि आरवीएनएल के लोग उनसे मिले थे। इस संबंध में एसडीओ और जेई से रिपोर्ट मांगी गई है।

गांवों में जाएगी अंडरग्राउंड लाइन
जिन सात स्थानों पर विद्युत तार अवरोध बने हुए हैं उस लाइन से जुुडे़ गांवों की लाइन को अंडरग्राउंड कर दिया जाएगा। जिससे विद्युतीकरण की राह आसान हो जाए। इस काम को रेलवे कराएगी, बस काम का सुपरविजन बिजली विभाग को करना है।

दो साल बाद चलने लगेंगी इलेक्ट्रिक ट्रेनें
प्रतापगढ़। अगर सब कुछ ठीक ठाक रहा तो दो साल बाद प्रतापगढ़ में लोगों को बिजली की ट्रेनों का मजा मिलने लगेगा। इस अवधि में इस रूट पर इलेक्ट्रिक ट्रेनों का रास्ता साफ हो जायेगा। आरवीएनएल के अधिकारियों की मानें तो विद्युतीकरण का कार्य अक्तूबर में शुरू होने की उम्मीद है। काम शुरू होने के बाद पूरा होने में करीब दो साल का वक्त लगेगा। उसके बाद बिजली से चलने वाली ट्रेनों का संचालन इस रूट पर शुरू हो जायेगा। जबकि विद्युतीकरण से लेकर दोहरीकरण तक का कार्य पूरा होने में पांच साल का वक्त लग सकता है।

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